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Repeater क्या है? जानिए इसके बारे में पूरी जानकारी

By Pavan Vishwakarma

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Repeater क्या है? जानिए इसके बारे में पूरी जानकारी

आजकल नेटवर्किंग और संचार की दुनिया में रिपीटर्स (Repeaters) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। चाहे वो इंटरनेट कनेक्शन हो, टेलीफोन लाइन्स हो, या वाई-फाई नेटवर्क, रिपीटर्स का उपयोग अक्सर किया जाता है। इनका मुख्य काम सिग्नल की ताकत को बढ़ाना और नेटवर्क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना होता है।

अगर आप एक नेटवर्क या संचार व्यवस्था के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो रिपीटर्स के बारे में समझना बहुत जरूरी है। इस लेख में हम रिपीटर्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, उनकी कार्यप्रणाली, उपयोग, प्रकार, और उन परिस्थितियों के बारे में बात करेंगे जहां इनकी आवश्यकता होती है।

 


Repeater (रीपीटर) क्या है?

Repeater (रीपीटर) एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका काम नेटवर्क या संचार चैनल में सिग्नल को बढ़ाना होता है। यह सिग्नल को प्राप्त करता है, उसे रिसीव करता है और फिर उसे बेहतर बनाकर फिर से भेज देता है। रिपीटर आमतौर पर तब उपयोगी होते हैं जब सिग्नल लंबी दूरी तक नहीं पहुंच पाते हैं, या अगर सिग्नल कमजोर हो जाता है, जिससे कनेक्टिविटी में समस्याएं आ सकती हैं। रिपीटर का उपयोग नेटवर्क्स और टेलीकोम्युनिकेशन सिस्टम्स में किया जाता है ताकि डेटा या सिग्नल की गुणवत्ता बनी रहे और सही तरीके से ट्रांसमिट हो सके।

रिपीटर के बिना, डेटा ट्रांसफर की गति धीमी हो सकती है और कई बार पूरी तरह से डेटा ट्रांसफर असंभव हो सकता है। खासकर वाई-फाई नेटवर्क्स, केबल नेटवर्क्स और मोबाइल नेटवर्क्स में रिपीटर्स का इस्तेमाल अधिक होता है।


 

Repeater कैसे काम करता है?

रिपीटर का कार्य बहुत सरल है। यह एक डिवाइस के रूप में कार्य करता है जो एक सिग्नल को प्राप्त करता है और उसे फिर से उत्पन्न (retransmit) करता है, ताकि सिग्नल अपनी निर्धारित दूरी तक पहुंच सके। इसे इस प्रकार समझ सकते हैं:

  1. सिग्नल रिसेप्शन (Signal Reception): रिपीटर सबसे पहले नेटवर्क से एक सिग्नल को प्राप्त करता है। यह सिग्नल कमजोर, खराब गुणवत्ता वाला, या लंबी दूरी तक यात्रा नहीं कर पाया हो सकता है।
  2. सिग्नल का पुनः संचारण (Signal Amplification/Boosting): इसके बाद, रिपीटर उस सिग्नल को प्रोसेस करता है और उसे पुनः संचारित करने के लिए तैयार करता है। यह सिग्नल को बिना किसी बदलाव के दोबारा से रिसीव करता है, या अगर जरूरत हो तो उसे थोड़ा साफ और सशक्त भी करता है।
  3. सिग्नल को फिर से भेजना (Signal Transmission): रिपीटर इस प्रोसेस्ड सिग्नल को नेटवर्क में अगले डिवाइस या गंतव्य तक भेजता है। इसका मतलब है कि नेटवर्क में सिग्नल की रेंज और गुणवत्ता बढ़ जाती है।

यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन नेटवर्कों के लिए महत्वपूर्ण है जहां सिग्नल की ताकत को बढ़ाने की जरूरत होती है, जैसे कि वायरलेस नेटवर्क्स, लैंडलाइन नेटवर्क्स और मोबाइल नेटवर्क्स।


Repeater के प्रकार

रिपीटर्स के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनका उपयोग अलग-अलग नेटवर्कों और तकनीकों में किया जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के रिपीटर्स निम्नलिखित हैं:

  1. एनालॉग रिपीटर (Analog Repeater): ये पारंपरिक रिपीटर होते हैं जो एनालॉग सिग्नल को प्राप्त करते हैं और उसे फिर से भेजते हैं। इस प्रकार के रिपीटर्स को आमतौर पर पुराने टेलीफोन सिस्टम्स और रेडियो नेटवर्क्स में उपयोग किया जाता था। ये सिग्नल को एक निश्चित सीमा तक बढ़ाते हैं, लेकिन इनकी सीमाएं होती हैं, जैसे कि सिग्नल की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।
  2. डिजिटल रिपीटर (Digital Repeater): डिजिटल रिपीटर एनालॉग रिपीटर्स से अधिक उन्नत होते हैं। यह डिजिटल सिग्नल को प्राप्त करते हैं और फिर उसे पुनः संचारित करते हैं। डिजिटल रिपीटर्स में सिग्नल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तकनीकी सुधार होते हैं। इन्हें टेलीफोन नेटवर्क्स, डेटा ट्रांसमिशन और मोबाइल नेटवर्क्स में इस्तेमाल किया जाता है।
  3. वायरलेस रिपीटर (Wireless Repeater): वायरलेस रिपीटर मुख्य रूप से वायरलेस नेटवर्क्स में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि Wi-Fi नेटवर्क्स। ये रिपीटर्स वायरलेस सिग्नल को प्राप्त करते हैं और उन्हें फिर से भेजते हैं, ताकि सिग्नल की रेंज बढ़ सके। यह खासतौर पर उन क्षेत्रों में उपयोगी होते हैं जहां सिग्नल कमजोर होता है या जहां कई दीवारें और रुकावटें सिग्नल को बाधित करती हैं।
  4. इथरनेट रिपीटर (Ethernet Repeater): इथरनेट रिपीटर का उपयोग नेटवर्क केबल (जैसे, CAT-5, CAT-6) के जरिए डेटा ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है। यह नेटवर्क में डेटा सिग्नल को लंबी दूरी तक पहुंचाने में मदद करता है। जब इथरनेट सिग्नल 100 मीटर से अधिक दूरी पर भेजा जाता है, तो रिपीटर का उपयोग सिग्नल को दोबारा भेजने के लिए किया जाता है।

Repeater के लाभ

  1. सिग्नल रेंज बढ़ाना: रिपीटर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सिग्नल की रेंज को बढ़ाता है। जब नेटवर्क का सिग्नल दूरियों तक नहीं पहुंच पाता, तो रिपीटर उस सिग्नल को प्राप्त करके उसे फिर से प्रसारित करता है, जिससे कनेक्टिविटी बढ़ती है।
  2. नेटवर्क कनेक्टिविटी में सुधार: रिपीटर का उपयोग नेटवर्क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। यह कमजोर या अवरुद्ध सिग्नल को मजबूत करता है और नेटवर्क की गुणवत्ता को बनाए रखता है, खासकर बड़े क्षेत्रों में।
  3. लोकेशन में सुधार: कई बार ऐसे स्थान होते हैं जहां सिग्नल कमजोर होता है, जैसे बिल्डिंग के अंदर या भूमिगत क्षेत्रों में। रिपीटर इन स्थानों में भी सिग्नल को मजबूत करके नेटवर्क कवरेज प्रदान करता है।
  4. डेटा ट्रांसफर स्पीड में सुधार: रिपीटर, विशेष रूप से डिजिटल रिपीटर्स, डेटा ट्रांसफर की गति में सुधार कर सकते हैं। यह नेटवर्क की गति को बनाए रखता है और सिग्नल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है, जिससे डेटा ट्रांसफर सुचारू रूप से होता है।

Repeater के उपयोग

  1. वायरलेस नेटवर्क्स में (Wireless Networks): Wi-Fi नेटवर्क्स में रिपीटर्स का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। जब कोई वाई-फाई राउटर एक बड़े क्षेत्र को कवर करने में सक्षम नहीं होता, तो रिपीटर का इस्तेमाल सिग्नल को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह खासतौर पर बड़े घरों, ऑफिसों, और सार्वजनिक स्थानों पर उपयोगी होता है।
  2. मोबाइल नेटवर्क्स (Mobile Networks): मोबाइल नेटवर्क्स में रिपीटर्स का उपयोग सिग्नल को बढ़ाने और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। खासकर उन स्थानों पर जहां मोबाइल सिग्नल कमजोर होते हैं, जैसे सुरंगें, बेसमेंट या ऊंची इमारतें।
  3. कंप्यूटर नेटवर्क्स (Computer Networks): इथरनेट रिपीटर्स का उपयोग स्थानीय नेटवर्कों (LANs) में किया जाता है, जब सिग्नल को लंबी दूरी तक भेजने की जरूरत होती है। यह विशेष रूप से बड़े नेटवर्कों में डेटा की संचारण क्षमता को बनाए रखने में मदद करता है।
  4. टेलीविजन और रेडियो प्रसारण (Television and Radio Broadcasting): टेलीविजन और रेडियो प्रसारण में रिपीटर्स का इस्तेमाल सिग्नल को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, ताकि सिग्नल दूर-दराज के क्षेत्रों में भी पहुंच सके।

Repeater के नुकसान

  1. सिग्नल डिस्टॉर्शन (Signal Distortion): रिपीटर कभी-कभी सिग्नल की गुणवत्ता को भी खराब कर सकते हैं। यदि रिपीटर सिग्नल को ठीक से प्रोसेस नहीं करता, तो सिग्नल में डिस्टॉर्शन हो सकता है, जिससे नेटवर्क कनेक्टिविटी में दिक्कत आ सकती है।
  2. नेटवर्क ट्रैफिक (Network Traffic): रिपीटर नेटवर्क पर अतिरिक्त ट्रैफिक का कारण बन सकते हैं, क्योंकि वे नेटवर्क में अधिक डेटा भेजते हैं। यदि एक ही रिपीटर बहुत सारे डिवाइसों के साथ कनेक्टेड है, तो ट्रैफिक बढ़ सकता है।
  3. लागत (Cost): रिपीटर्स की कीमत, विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल या वायरलेस रिपीटर्स, काफी हो सकती है। बड़े नेटवर्कों में इनकी आवश्यकता होती है, जो अतिरिक्त लागत पैदा कर सकते हैं।

निष्कर्ष

Repeater (रीपीटर) नेटवर्किंग और संचार प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सिग्नल को बढ़ाता है और नेटवर्क की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाता है, खासकर तब जब सिग्नल कमजोर या दूरी की वजह से अवरुद्ध हो जाता है। विभिन्न प्रकार के रिपीटर्स का उपयोग अलग-अलग नेटवर्क्स में किया जाता है, और ये कई प्रकार के संचार चैनल्स में सुधार लाने का काम करते हैं। रिपीटर नेटवर्क की गति, रेंज और कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद करते हैं, और इनका सही उपयोग नेटवर्किंग की समस्याओं को हल करने में मदद करता है।

Pavan Vishwakarma
Author: Pavan Vishwakarma

🙋‍♂️ नमस्ते! मैं पवन विश्वकर्मा हूँ, एक कंप्यूटर शिक्षक, यूट्यूबर और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर। मेरा उद्देश्य है – गाँव और छोटे शहरों के युवाओं को कंप्यूटर, टेक्नोलॉजी और डिजिटल स्किल्स से सशक्त बनाना। इस प्लेटफॉर्म पर मैं शेयर करता हूँ कंप्यूटर कोर्स, बेसिक से एडवांस लेवल तक की जानकारी, Excel, MS Office, Tally, Freelancing, Typing, और Digital Tools – वो भी आसान हिंदी में! अगर आप चाहते हैं नौकरी, सरकारी परीक्षा में कंप्यूटर की तैयारी, या फिर खुद की Digital कमाई की शुरुआत – तो यह प्लेटफॉर्म आपके लिए है। मेरा मिशन है – हर युवा को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना, ताकि वे अपनी पढ़ाई, करियर और कमाई – तीनों में आगे बढ़ सकें।

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